बुधवार, 19 अगस्त 2015

वाणी मर्यादा तोड़

सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय" समय-समय पर लेते रहना चाहिए .....
पानी के बिना नदी बेकार है,
अतिथि के बिना आँगन बेकार है......
प्रेम न हो तो सगे-सम्बन्धी बेकार है, पैसा न हो तो पाकेट बेकार है, और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है....
इसलिए जीवन में "गुरु"जरुरी है.. "गुरुर" नहीं....
पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश और वाणी मर्यादा तोड़े
तो सर्वनाश ! !

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