गुरुवार, 20 अगस्त 2015

शमशान के बाहर

एक शमशान के बाहर लिखा
था...
मंजिल तो तेरी यही थी
बस जिंदगी गुजर गयी आते
आते...
क्या मिला तुझे इस दुनिया
से...
अपनो ने ही जला दिया तुझे
जाते जाते...

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